राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन- किसान,जवान व विज्ञान की सराहना के साथ ही कोरोना को लेकर देशवासियों से विशेष अपील- बंधुता की भावना के साथ आगे बड़े देश

राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन- किसान,जवान व विज्ञान की सराहना के साथ ही कोरोना को लेकर देशवासियों से विशेष अपील- बंधुता की भावना के साथ आगे बड़े देश

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने अन्नदाता के उत्थान के लिये देश की कटिबद्धता दोहराई राष्ट्रपति ने जल,थल और नभ में सीमाओं की सुरक्षा के लिये जवानों का आभार व्यक्त किया साथ ही कोविड़ जैसी महामारी से निपटने के लिये वैक्सीन खोज के लिये वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रपति ने कहा किसान,जवान और विज्ञान देश की ताकत है।
राष्ट्रपति ने 2020 को सीख देने वाला वर्ष बताया उन्होंने कहा देशवासियों ने इस वर्ष बंधुता की भावना का परिचय दिया।
राष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कर्मियों व सफाई कर्मियों को भी उनके योगदान के लिये धन्यवाद दिया अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा आपदा को अवसर में बदलते हुवे देश आत्मनिर्भरता की ओर बड़ रहा है अर्थव्यवस्था गतिशील हो रही है।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने एक बार फिर संविधान के आदर्शों व मूल्यों की सार्थकता स्थापित करने पर बल दिया।
राष्ट्रपति ने प्रवासी भारतीयों सहित देश के हर नागरिक के सहयोग को सराहा।
कोरोना काल में शिक्षण संस्थानों की नई पहल की भी सराहना की उन्होंने कहा छोटे-छोटे प्रयास बड़े प्रयासों के पूरक होते है।
राष्ट्रपति ने कहा कोरोना ने हम सबके संस्कारो को जगाया है और बंधुता की यही भावना मानवता की जीत है।
राष्ट्रपति ने कहा भारत विस्तारवादी ताकतों का सामना करने के लिये तैयार है देश अपनी रक्षा के लिये सक्षम है।
अंत में राष्ट्रपति ने आम नागरिकों से वैक्सीजन रूपी संजीवनी लगाने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा अपनी उदार व मानवतावादी नीति के कारण आज भारत को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जा रहा है उन्होंने कहा देश विपरीत परिस्तिथियों से उभरकर लगातार आगे बड़ रहा है।
राष्ट्रपति ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं के साथ अपना संबोधन खत्म किया।

उत्तराखंड