रोजगार परक खेती की ओर अग्रसर होता एक गांव

रोजगार परक खेती की ओर अग्रसर होता एक गांव

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रिपोर्ट- गंगोलीहाट(पिथौरागढ़)
गंगोलीहाट-(पिथौरागढ़)- वर्षो से बंजर पड़े पहाड़ के खेत खलिहान एक बार फिर से आबाद होने लगे है।
पुरखो की धरोहर व पहाड़ की पहचान को बचाने के लिये एक गांव ने सराहनीय पहल करते हुवे सामूहिक खेती करने का निर्णय लिया है।
हम बात कर रहे हैं गंगोलीहाट ब्लॉक के तहत आने वाले टुंडाचौड़ा गांव की जहाँ ग्राम प्रधान मनीषा बिष्ट व उनके पति गोविंद सिंह ने सालों से बंजर पड़ी जमीन को एक बार फिर से हरा भरा करने का निर्णय लिया और गांव वालों से वार्ता कर पारंपरिक खेती करने के साथ साथ रोजगार परक खेती करने का सुझाव दिया जिसको गांव के लोगों ने समझा और शुरु कर दी हल्दी की सामूहिक खेती।

गांव के करीब 25 खेतो में आज ग्रामीण हल जोतकर हल्दी की खेती करने के साथ ही आड़ू,खुमानी व नीबू के पेड़ों को भी लगा रहे है।
प्रधान पति गोविंद सिंह बताते हैं कि पहाड़ के काश्तकारों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत है जंगली जानवरों से अपनी फसलों को बचाना ऐसे में काश्तकारों की लागत तो दूर मेहनताना भी नही निकलता है
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और पूरी मेहनत को जंगली जानवर तबाह कर देते हैं ऐसे में उनके मन में विचार आया कि क्यों ना पारंपरिक खेती के साथ साथ बंजर पड़ी जमीन को एक बार फिर से आबाद किया जाये गांव वालों की सार्वजनिक पहल रंग लाने लगी फलस्वरूप आज पूरा गांव एक बार ऑर्गेनिक खेती की तरफ आगे बढ़ते हुवे अपनी आर्थिकी को मजबूत करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है।

करीब 90 परिवारों वाले सुंदर टुंडाचौड़ा गांव के सामूहिक प्रयासों को देखकर फ़िल्म नया दौर के साथी हाथ बढ़ाना,एक अकेला थक जायेगा, मिलकर हाथ बटाना बरबस ही जुबाँ पर आ जाता है टुंडाचौड़ा गांव आज अन्य गांवों के लिये मिशाल बन गया है और वो भी सामूहिक खेती पर जोर दे रहे हैं।

उत्तराखंड