रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- वर्चस्व की लड़ाई व बेशकीमती संपत्तियों पर कब्जा स्थापित करने को लेकर इन दिनों नैनीताल का प्रसिद्ध शेरवुड कॉलेज सुर्खियों में है अंदरूनी लड़ाई इस कदर चरम पर है कि असली नकली का फर्क करना मुश्किल हो गया है।
दरअसल ये पूरा मामला शेरवुड कॉलेज के प्रधानाचार्य की कुर्सी को लेकर है आगरा डायसिस की तरफ से बीते 21 अक्टूबर को वर्तमान प्रधानाचार्य अमनदीप संधू को वित्तीय गड़बड़ियों सहित तमाम आरोपों को लगाते हुवे उन्हें निलंबित करते हुवे डॉ पीटर धीरज इमेन्युअल उनके स्थान पर नया प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया उसके बाद जब पीटर अपने विधिक सलाहकारों व अन्य लोगों के साथ शेरवुड कॉलेज चार्ज लेने पहुंचे तो गेट पर ताला जड़ दिया गया और उनको प्रवेश नही दिया चूंकि हाईकोर्ट ने पूर्व में चल रहे उक्त लोगों के आपसी विवाद को लेकर डॉ पीटर धीरज को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश जारी किये थे
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तो पुलिस भी मुस्तैदी के साथ डटी रही तमाम कोशिशों के बाद भी कॉलेज का गेट नही खुला और फिर मामला याचिका के जरिये नैनीताल हाईकोर्ट पहुँचा जिसमें आगरा डायसिस की तरफ से कोर्ट से प्रार्थना की गई कि अमनदीप संधू को हटाकर नए प्रधानाचार्य डॉ पीटर धीरज की तैनाती कराई जाये मामला हाईकोर्ट से निस्तारित नही हुआ कि आज इस पूरे प्रकरण पर लखनऊ डायसिस ने उक्त संपत्ति पर अपना आधिपत्य जताते हुवे आगरा डायसिस पर कोर्ट को गुमराह करने सहित उनको भी उक्त मामले में सुनने की अपील कोर्ट से कर डाली।
लखनऊ डायसिस के मैनेजमेंट का आरोप है कि आगरा डायसिस ने गलत तरीके से गलत आदमी को कब्जा दिलाने का प्रयास कर रही है जबकि इसके विधिक उत्तराधिकारी लखनऊ डायसिस है और डिप्टी रजिस्ट्रार के वहाँ हमारी मैनेजमेंट कमेटी ही रजिस्ट्रर्ड है।
चूंकि अब पूरा मामला अदालत में विचाराधीन है मगर इन सबके बीच बड़ा सवाल ये कि आखिर कौन है जिसके पास विधिक अधिकार हो और शिक्षा के मंदिर में चल रही आपसी लड़ाई शांत हो?