विश्व जल दिवस- गंभीर जल संकट से बचने को वर्षा जल संचय जरुरी

विश्व जल दिवस- गंभीर जल संकट से बचने को वर्षा जल संचय जरुरी

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- आज विश्व जल दिवस है ये दिवस है जागने का,ये दिवस है सचेत होने का कि हम अभी भी नहीं चेते तो एक दिन हम सब भयंकर जल संकट की चपेट में आ जायेंगे और जल संकट से बचाव का एक मात्र उपाय है वर्षा जल संचय।

पर्यावरणविद पदमश्री डॉ अनिल जोशी जो जल पुरूष के नाम से भी प्रसिद्ध है वो बताते है कि ये वो समय है जब हमें पानी के लिये गंभीर हो जाना चाहिये इसके लिये वर्षा जनित नदियों का संरक्षण जरूरी है साथ ही न केवल वनों का संरक्षण बल्कि जल छिद्र बनाने की भी जरूरत है ताकि नमी बनी रहे और वन विकसित हों।
जल संकट की भयावहता का अंदाजा 90 के दशक से ही लगाया जाने लगा था और जल संरक्षण व इसकी महत्वता को देखते हुवे 1993 से हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाने लगा है।
आज जल दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “कैच द रेन” अभियान की शरुआत की है।
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हमें भी जल की एक-एक बूंद संचित करनी होगी ताकि हमारा भविष्य पानी की त्राहि त्राहि से बच सके अभी भी अवसर है वर्षा जल संचय जरूरी है इस संचित जल से हम उस संकट को टाल सकते है जो हमारे सामने खड़ा है।
“रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सुन” आज जरूरत है रहीम के इस दोहे के महत्व को समझने की और वर्षा के जल को संचित करने की ताकि “बिन पानी सब सून” वाली अवस्था ना आये।
एक-एक बूंद बचेगा पानी।
तो भविष्य में नही होगी परेशानी।।।

उत्तराखंड