संस्कारो से जुड़ी है मातृभाषा- हीन नही बल्कि आदर दृष्टि से करे सम्मान

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रिपोर्ट- कपिल पंवार

श्रीनगर- हेमवती नन्दन बहुगुणा केन्द्रीय गढ़वाल विश्वाविद्यालय के एसीएल सभागार में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के निर्देशन पर अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ए.आर डंगवाल बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि प्रो. डंगवाल, विशिष्टि अतिथि प्रो. एस.सी.भट्ट, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. मंजुला राणा और डाॅ. गुड्डी ने दीप प्रज्वलित करके किया।


मुख्य अतिथि प्रो. ए.आर. डंगवाल ने छात्र-छात्राओं,, को मातृभाषा के प्रति आदर करने की सीख दी और कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा को हीन दृष्टि से न देखें क्योंकि उसमें हमारे संस्कार जुड़े होते हैं और यही हमारे विकास की पहली सीढ़ी होती है। इस मौके पर प्रो. एससी भट्ट ने यूनेस्को द्वारा अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाये जाने के इतिहास पर विस्तृत व्याख्यान दिया और कहा कि ढाका विश्वाविद्यालय में छात्रों के आन्दोलन से मातृभाषा के प्रति जो प्रेमभाव का नजरिया बना उसे यूनेस्को की घोषणा के बाद आज विश्व, अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मना रहा है।


बतौर मुख्य वक्ता कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो मंजुला राणा ने कहा कि मातृभाषा दिवस मनाने का गुख्य उद्देश्य भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहु भाषिकता को विश्व पटल तक पहुँचाना है साथ ही अपनी संस्कृति को संवर्दि्धत करने के लिए मातृभाषा ही सबसे बड़ा उपकरण है आज वैश्वीकरण के युग में बहुभाषी होना जरूरी हो गया है जहां कई भाषाओं को सीखना व्यक्तित्व विकास की पहचान हो गई है वहीं मातृभाषा ही है जिससे हमारे व्यक्तित्व विकास के साथ हमारी बहुभाषीय सांस्कृतिक एकता का सन्देश विश्वपटल तक जाता है। मातृभाषा के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र का विकास भी जुड़ा होता है और इससे हम विश्व संस्कृति के ज्ञान-विज्ञान से जुड़ सकते हैं।