सनातनीय परंपराओं व रीति रिवाजों का खजाना- धर्म द्धार

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रिपोर्ट- राजू पाण्डे

हिन्दू धर्म का आधार सनातनीय परम्परायें है और इन्ही परंपराओं व रीति रिवाजों को संरक्षित करने मे वर्षों से हरिद्वार के तार्थ पुरोहित जुटे है करीब 200 वर्षों से अधिक के इतिहास व धर्मकर्म को पुरोहितों ने कागज बही मे संरक्षित किया है जो अनवरत है आश्चर्य की बात है कि कम्प्यूटर व इंटरनेट के इस युग मे भी तीर्थ पुरोहितों की कागज बही का न तो महत्त्व कम हुआ है न आकर्षण।।।

करीब 800 से 1000 पन्नो की बही को संजोने मे लेदर कवर का प्रयोग होता है जिसे सहेजने मे 1200 तीर्थ पुरोहित और उनके परिवार जुटे है।इसी बही मे देश के कोने कोने से धर्मार्थ हरिद्वार पहुंचने वाले भक्तों व उनके पूरे परिवार का रिकार्ड रखा जाता है और पीढ़ियों बाद भी उस परिवार से कोई हरिद्वार आता है तो वो अपने परिवार का पूरा लेखा जोखा वहा देख सकता है यही है सनातन और उसकी शक्ति जिसकी पीढ़ियों के धर्म द्वार हरिद्वार मे आकर खुलते है।।।

हरिद्वार मे तीर्थ पुरोहित अपने अपने क्षेत्र के यजमानों के ठहरने की पूरी व्यवस्था भी निःशुल्क करते है और ये व्यवस्था दान या दक्षिणा के पैसों से होती है यानि धर्म से कमाया और धर्म पर ही लगाया ये गंगा जी के चरणों का ही प्रताप है कि सैकड़ो वर्षों से इन बही खातों को सहेजना संभव हो पाया है।।।यदि आपके पूर्वज भी हरि की नगरी के दर्शनों को गये है तो एक बार जरूर हरिद्वार आकर धर्म बही में उनका नाम देखें और पूर्वजो का आशिर्वाद प्राप्त करे।।।।