हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई कड़ी फटकार कहा- आपकी मंशा राजस्व ग्राम बनाने की है या नही?- शपथपत्र के जरिये मंशा स्पष्ट करने के दिये निर्देश

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई कड़ी फटकार कहा- आपकी मंशा राजस्व ग्राम बनाने की है या नही?- शपथपत्र के जरिये मंशा स्पष्ट करने के दिये निर्देश

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज जसपुर तहसील के तहत आने वाले तीन गांवों शिपका, मिलक शिपका व मनोरथपुर को राजस्व गांव घोषित किये जाने संबंधी किसानों की वर्षो पुरानी मांग पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुवे राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाते हुवे पूछा है कि आपकी मंशा उक्त गांवों को राजस्व ग्राम बनाने की है या नही? इस पूरे आशय का कोर्ट ने आगामी 22 अप्रैल तक शपथपत्र पेश करने का आदेश जारी किया है।
गौरतलब है कि 1960 में उक्त गांवों के किसानों की करीब 350 एकड़ जमीन तुमड़िया डैम में चली गई थी उसके बाद सरकार ने उतनी ही जमीन किसानों को वापस कर दी मगर जो जमीन सरकार ने किसानों को दी वो वन भूमि थी जबकि किसानों से ली गई जमीन राजस्व ग्राम की थी यानी कुल मिलाकर सरकार ने राजस्व ग्राम की जमीन को लिया और बदले में किसानों को फॉरेस्ट लैंड वापस कर दी जिसका विवाद सालों से चल रहा है और सैकडों किसान आज तक तीन गांवों को राजस्व ग्राम घोषित करने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे है।
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इस पूरे मामले को लेकर बीते 25 अगस्त 2008 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से स्टेज वन की परमिशन तीन शर्तो के साथ दे दी थी जिसमें पहला ये कि उक्त जमीन से अतिक्रमणकारियों को हटाया जाये दूसरा ये कि दोबारा से जमीन की नाप की जाये और तीसरा ये कि इस पूरे मसले पर सुप्रीम कोर्ट की ईजाजत ली जाये मगर सरकार की अनदेखी व लचर रवैये के चलते 30 जनवरी 2017 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी परमिशन को वापस कर दिया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
आज उक्त मामले की नैनीताल हाईकोर्ट ने अहम सुनवाई हुई जिस पर पूर्व में कोर्ट की तरफ से जारी आदेशो के क्रम में जिलाधिकारी उधमसिंह नगर,राजस्व व सिंचाई विभाग के चीफ व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश हुवे और जल्द मामले पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया जिस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुवे कहा कि आपकी मंशा इन गांवों को राजस्व ग्राम बनाने की है या नही और पूरे मामले पर 22 अप्रैल तक स्पष्ट शपथपत्र पेश करने का आदेश जारी किया है।

उत्तराखंड