रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- जीवन चलने का नाम,चलते रहो सुबह शाम।
कि रस्ता कट जायेगा मितरा,कि बादल छट जायेगा मितरा,के दुख से झुकना ना मितरा।।।।।।कुछ ऐसे गीत जीवन गीत बन जाते है किसी के जीवन की सच्चाई बन जाते है।
आज हम आपको मिला रहे है नैनीताल के विजय कुमार से जिनके जीवन का फलसफा कुछ ऐसा ही है इन्होंने जीवन से कभी हार नही मानी इनके थर्मस में है इनका जीवन आप सोचेंगे थर्मस में कैसा जीवन?
ये थर्मस ही है जिससे ये लोगों में ताजगी बांटते है और खुद को जीवन क्योंकि ये इनकी जीविका का आधार तो है ही साथ ही इसी ने इनको संघर्ष में खड़े रहने की राह दी।
विजय कुमार मूलरूप से सतबुंगा के रहने वाले है बचपन मे ही माता पिता दोनो का साया उठ गया छोटी सी उम्र में अनाथ हो गये जब बच्चे माता पिता की छांव में पलते है उस समय इनके सामने जिंदगी इम्तिहान थी सामने भूख थी और जीने के लिये संघर्ष।
ना घर रहा ना मॉ बाप तो लगभग 10 वर्ष की उम्र में ये नैनीताल आ गये यहाँ आकर किसी गलत संगत में नही रहे बचपन से ही मेहनत की राह चुन ली विजय ने लगभग 20 वर्ष तक तिब्बतियों के घर मे काम किया उनके साथ रहकर उनका रहन सहन,खान-पान सब सीख गये उसके बाद उन्होंने अपनी अलग राह चुनी और स्वतंत्र रूप से घर से चाय बनाकर भोटिया व तिब्बती मार्केट में पिलानी शुरू कर दी।
विजय कुमार 7 प्रकार की चाय बनाते है जिसमे लेमन टी,बटर टी,नार्मल टी व पुदीना चाय प्रमुख है चूंकि पूरा तिब्बती समुदाय विजय का परिवार जैसा है उनका पूरा बचपन उनके बीच ही गुजरा है।
विजय का संघर्ष यही नही थमा पिछले साल ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया जो 3 छोटे-छोटे बच्चों की जिम्मेदारी विजय पर छोड़ गई विजय ने हार नही मानी और फिर उठ खड़े हुवे विजय रोजाना हाथों में थर्मस लेकर निकल पड़ते है अपनी मंजिल की ओर और हर रोज उनके ग्राहक इंतजार करते है उनकी चाय जो सेहत व स्फूर्ति के साथ इम्यूनिटी से भरपूर होती है।
विजय का जीवन हमें प्रेरित करता है कि जीवन से कभी हार नही माननी चाहिये कैसा भी दौर आये हमें आत्मघाती कदम नही उठाना चाहिये क्योंकि जीवन चलने का नाम है।।।।।