Exclusive- पहाड़ के लिये पहाड़ी चप्पल- उबड़ खाबड़ रास्तों पर मजबूत पकड़

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “क्या सफलता पायेंगे वो,जो निर्भर रहते गैरों पर।
सफलता तो वो पाते है,जो खड़े होते हों अपने पैरों पर”
आज हम आपको सफलता की सीढियां चढ़ते ऐसे होनहार युवा की कहानी बता रहे है जिसने मुश्किल दौर से उबरकर न केवल अपने पैरों पर खड़े होने का दम दिखाया बल्कि ये युवा पहाड़ के मेहनतकश पैरों को भी दे रहा है मजबूती।

हम बात कर रहे श्याम सुंदर सिंह की 38 वर्षीय श्याम सुंदर चंडीगढ़ में नौकरी करते थे लेकिन कोरोना के कारण सब छूट गया 13 वर्ष बाहर रहने के बाद आखिर कोरोना ने वापस अपने घर बेतालघाट भेज दिया।

नैनीताल के बेतालघाट अमेल वापस आने पर रोजगार की चिंता सताने लगी चिंता ने चिंतन का रूप ले लिया आखिरकार श्याम सुंदर ने चप्पल बनाने का काम शुरू किया अपनी छोटी बचत से करीब 70 हजार रुपयों की लागत से काम करना शुरू किया और अपने उत्पाद को उन्होंने नाम दिया “पैंरो चप्पल” पहाड़ के लिये पहाड़ी चप्पल,उबड़ खाबड़ रास्तों पर जिसकी मजबूत पकड़ हो।


श्याम सुंदर बताते है उन्होंने बहुत सोचने के बाद इस काम को चुना क्योंकि पहाड़ के लोग अधिकतर चप्पलों का ही इस्तेमाल करते है और इन मेहनतकश पैरों के लिये उन्हें मजूबत और टिकाऊ चप्पलों की जरूरत लगी इसलिये उन्होंने वापस चंडीगढ जाने की बजाय चप्पलों का काम शुरू किया।
श्याम सुंदर के इस काम में अब गांव की महिलायें भी जुड़ने लगी है और परिवार का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।

यदि सरकार श्याम सुंदर जैसे होनहार युवाओं को आगे बड़ाने की दिशा में प्रयास करें तो ये युवा पहाड़ की आर्थिक तस्वीर बदल देंगे। श्याम सुंदर भी अब अपने इसी काम को आगे बड़ाना चाहते है जिससे कि आने वाले समय मे उनका काम तो बड़े ही साथ ही युवाओं के लिये अपने ही घर मे रोजगार के द्वार भी खुलें।
श्याम सुंदर अपने पैरों पर मजबूती से खड़े होकर पहाड़ के मेहनतकश पैरों को दे रहे है मजबूती उनकी इस सोच को हम सलाम करते है।
“हर तमन्ना पूरी करने के सपने हर शख्स सजाता है।
लेकिन मजबूत इरादे वाला ही उन्हें पूरी कर पाता है।।”
आज पहाड़ के युवाओं को जरूरत है ऐसे ही मजबूत इरादों की जो पहाड़ की तकदीर बदल दे।।।