रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- वैष्णव जन तो तेने कहिये,जे पीर पराई जाणे रे।।
पर दुःखे उपकार करे तोये,मन अभिमान न आणे रे।।
सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे।।।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ये भजन बहुत प्रिय था और ठीक यही उनका व्यवहार भी था वो दीन दुखियों को देखकर द्रवित हो जाते थे अहिंसावादी बापू ने देश की आजादी के लिये अपना सर्वस्व त्याग दिया था देश ने उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि से नवाजा था।
लेकिन आज उसी बापू को उनके त्याग को उनके बलिदान को नैनीताल ने भुला दिया यहाँ तल्लीताल गांधी चौक पर गांधी जी की मूर्ति पर 26 जनवरी को पहनाई गई फूल मालाएं पड़ी रही न तो किसी ने उन्हें याद किया ना ही वो मुरझाई फूल मालाएं उतारी गई।
गांधी जी की मूर्ति पर पड़ी मुरझाई फूल मालाएं इशारा कर रही है लापरवाह सिस्टम की ओर सामाजिक संगठनों की ओर और उन तमाम लोगों पर जिसने राष्ट्रपिता के बलिदान को बिसरा दिया।
नैनीताल वो जगह है जहाँ कण-कण में बापू की यादें बिखरी है लेकिन उनकी पुण्यतिथि पर उनको यूं भुला देना सही है ये सवाल हम आप पर छोड़ रहे है क्या नैनीताल इस सवाल का जवाब दे पायेगा???