रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- हरी भरी वादियां बांज,बुरांश व देवदार के घने जंगल सामने आसमान से बातें करती हिमालय की पर्वतश्रृंखलायें और टापू पर बना ब्रह्मस्थली मंदिर जो आस्था और विश्वास के साथ ही प्रकृति की समृद्धता का भी अहसास कराता है।
नैनीताल से करीब 29 किमी. मोटर मार्ग और 2 किमी. पैदल मार्ग का सफर तय कर यहाँ पहुंचा जाता है।
यहाँ ब्रह्माजी का मंदिर है साथ ही यहाँ बधाण देवता की भी पूजा होती है।
चूंकि ये पूरा क्षेत्र प्राकृतिक समृद्धता से भरपूर है पहले आसपास के ग्रामीण यहाँ चरागाहों में अपने जानवरों के साथ रहते थे उनके गाय,भैस स्वस्थ रहें और घर दूध दही से भरा रहे जानवरों को कोई नजर दोष ना लगे इसके लिये ग्रामीण दूध से बधाण देवता की पूजा करने लगे।
अब पहले जैसे खत्ते और चरवाहे तो नहीं रहे लेकिन दूर दराज से ग्रामीण अभी भी यहाँ आकर दूध से बधाण देवता को नहलाते हैं इस मंदिर में एक कुण्ड है जिसमें दूध चढ़ाया जाता है ऐसी मान्यता है कि इस कुण्ड में दूध चढ़ाने से समृद्धता आती है और जानवर हर प्रकार के दोष से बचे रहते हैं।
ब्रह्मस्थली मंदिर प्रकृति की रमणीयता के बीच बसा है नैनीताल से 29 किमी. मोटर मार्ग से सफर तय करने के बाद 2 किमी. का पैदल मार्ग प्रकृति के बेहद करीब होने का अहसास कराता है इस क्षेत्र में करीब 580 से अधिक प्रजाति के पक्षियों का बास है चूंकि ये मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है इसलिये यहाँ साफ शुद्ध हवा रोमांचित करती है पैदल ट्रैक पर पर्वतराज हिमालय ऐसे नजर आते हैं मानो आप उसे छू लो।
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मंदिर के पास ही एक सुंदर धर्मशाला भी है जहाँ रात्रि विश्राम किया जा सकता है।
यहाँ पहुंचकर सारी थकान रफूचक्कर हो जाती है ये स्थल मन को वो सुकुन और शांति देता है जिसका वर्णन कर पाना मुश्किल है।
अगर आप भी नैनीताल घूमने आयें तो एक बार ब्रह्मस्थली मंदिर के दर्शन करने जरूर जायें आपकी मनोकामना तो पूर्ण होगी ही साथ ही आप यहाँ से वो यादें लेकर जायेंगे जिन्हें भुला पाना मुश्किल होगा अगर आप प्रकृति को महसूस करना चाहते हैं,आपको रहस्य,रोमांच और प्रकृति से लगाव है तो शायद ही इससे बेहतर कोई विकल्प हो एक बार जरुर आयें और महसूस करें इस नैसर्ग को।।