एक पंथ दो काज- पर्यावरण होगा साफ,जब कूड़े से बनेगी खाद

एक पंथ दो काज- पर्यावरण होगा साफ,जब कूड़े से बनेगी खाद

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “एक पंथ दो काज” ये कहावत तो हमने बहुत सुनी है पर कैसे एक महिला वैज्ञानिक वास्तव में इसको चरितार्थ कर रही है,कैसे वो आज के ग्लैमर को छोड़कर वेस्ट मैनेजमेंट में जुटकर पर्यावरण संरक्षण का काम कर एक मिशाल बनकर उभर रही है वो हम आपको बता रहे है।
हम बात कर रहे है नैनीताल निवासी लतिका साही की लतिका के पति आर्मी में अधिकारी है उन्हीं के साथ लतिका को बैंगलौर में रहने का मौका मिला बड़े शहर की चकाचौंध से दूर लतिका को वहाँ के कूड़ा डंपिंग जोन ने बहुत व्यथित किया।

वहाँ से जब वो नैनीताल आई हालात यहाँ भी लगभग वैसे ही थे तब उन्होंने सोचा क्यों ना किचन वेस्ट का इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाये।
लक्ष्य बहुत बड़ा था और कहीं से शुरुआत करनी थी तो डीएसटी(साइंस एंड टैक्नोलॉजी) भारत सरकार से प्रोजेक्ट लेकर उस पर काम करना शुरू किया।
लोगों को जागरूक करने के लिये लतिका ने शुरुआत घर से की और किचन वेस्ट से खाद तैयार कर उन्होंने घर पर ही फूलों में इस्तेमाल करना शुरू किया कहते है ना फूल खिलेगा तो खुशबू दूर तलक जायेगी जब आसपास के लोगों ने घर की हरियाली देखी तो कूड़े से खाद बनाने की तकनीक को जाना और समझा।
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आज लतिका का एक ही धेय्य है लोगों को जागरूक करना इसके लिये वो लगातार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रही है आज उनके मिशन में कई लोग जुड़ रहे है।
लतिका का प्रयास है कि हमारे घर से कम से कम कूड़ा डंपिंग जोन तक जाये और कम से कम हर परिवार अपने किचन वेस्ट का घर में ही खाद बनाने में इस्तेमाल करे वो बकायदा खाद बनाने की पूरी प्रोसेस लोगों को बताती है।
लतिका के प्रयासों से घर का अधिकांश कूड़ा घर में ही कम्पोस्टिंग के जरिये निस्तारित हो रहा है दूसरा इससे हर घर हरा भरा भी हो रहा है।
पर्यावरण संरक्षण में लतिका साही के प्रयासों की सराहना आज पूरा शहर कर रहा है और कुछ फीसदी लोग भी उनकी दूरगामी सोच का अनुसरण कर लें तो कूड़े से कम्पोस्टिंग के क्षेत्र में क्रांति आ जायेगी।।।

उत्तराखंड